I know its too late but when these thoughts came to my mind I did not have access to the net.
इस बार दिवाली कुछ अलग मनाये
एक दिया अपने दिल में, एक किसी गरीब के घर जलाएं
पटाखे कुछ कम फोडें , धुआं-कचरा कम फैलाएं
पूराने दिनों को याद करें , अपने पूराने टीचर से मिलकर आयें
झूटी हंसी कम हसे , कुछ चिट्कुले अपने दादा दादी को भी सुनाएं
दुसरो से ज़रा कम मिलें , अपन को अपने आप से ज़रूर मिलाएं
इस बार दिवाली कुछ अलग मनाये
इस बार दिवाली कुछ अलग मनाये
एक दिया अपने दिल में, एक किसी गरीब के घर जलाएं
पटाखे कुछ कम फोडें , धुआं-कचरा कम फैलाएं
पूराने दिनों को याद करें , अपने पूराने टीचर से मिलकर आयें
झूटी हंसी कम हसे , कुछ चिट्कुले अपने दादा दादी को भी सुनाएं
दुसरो से ज़रा कम मिलें , अपन को अपने आप से ज़रूर मिलाएं
इस बार दिवाली कुछ अलग मनाये
3 comments:
Hey Vinay..read ur blog..the poem n the article on focus.
U ve used great metaphors in ur article...n diwali poem is I would say in one word " touching"
Keep going....:)
hi viny how u doing
the only word for this piem is AWESOME well said vinay i hope u emplify on u r thoughts
Thank you anushree and thank you abhishekh for ur appreciation
Post a Comment